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मनमोहन का प्रस्तावित पाकिस्तान दौरा टल सकता है ?

Wednesday, December 17, 2014


नई दिल्ली/वॉशिंगटन: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली जरदारी के द्वारा 'जम्मू व कश्मीर' प्रान्त को लेकर संयुक्त राष्ट्र में दिए वक्तव्य पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है.




जरदारी के बयान के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पाकिस्तान यात्रा टल सकती है. मनमोहन सिंह साल 2012 के अन्त में पाकिस्तान जाने वाले थे. 



जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि जम्मू-कश्मीर संयुक्त राष्ट्र की नाकामी का नतीजा है. जरदारी ने जम्मू कश्मीर को 1947 से विवादित बताया था.



भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने संयुक्त राष्ट्र के आम अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर के बारे में भारत की नीति हमेशा एक जैसी रही है और पूरी दुनिया इसे जानती है.

गुटनिरपेक्ष सम्मेलन : मनमोहन सिंह ने जरदारी से की मुलाकात

Monday, June 24, 2013

भारत को लक्ष्य बनाकर की जाने वाली आतंकी कार्यवाहियों पर विरोध जताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि 26/11 के पाक स्थित आतंकियों को जल्द से जल्द दण्डित किया जाना चाहिये.


दोनों नेताओं के बीच बैठक आधे घंटे से अधिक समय तक चली. इस दौरान सिंह ने आतंकवाद पर भारत की चिंताओं पर बल दिया.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे जबकि जरदारी के साथ उनके पुत्र बिलावल भुट्टो, विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार और गृह मंत्री रहमान मलिक मौजूद थे.

अपनी ही सरकार और संसद पर गिलानी ने निशाना साधा

लाहौर. पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय की ओर से अयोग्य ठहराए जाने के बाद पद छोड़ने वाले पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि उनके देश में ‘अघोषित बांग्लादेश-मॉडल सरकार’ चल रही है.






उन्होंने कहा, ‘जब मैं पाकिस्तान के संविधान की मर्यादा को अक्ष्क्षुण रखने के लिए अयोग्य करार दिया गया तो संसद मेरे पीछे खड़ी नहीं हुई. अब यही संसद दोहरी नागरिकता वाले दूसरे सांसदों को अयोग्य ठहराए जाने पर आंसू बहा रही है. ऎसी संसद का कोई मतलब नहीं है.’

नेपाली सिनेमाघरों में हिन्दी फिल्में प्रतिबंधित

Wednesday, June 12, 2013

नेपाल. सत्तारूढ़ माओवादियों के एक धड़े के दबाव के सामने झुकते हुए नेपाल के सिनेमाघरों ने हिन्दी फिल्मों को दिखाना बन्द कर दिया है.


नेपाल फिल्म निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष राज कुमार राय ने बताया कि 50 सिनेमाघरों ने सोमवार से भारतीय फिल्में दिखाना बंद कर दिया है.




हमने पूरे देश में हिन्दी फिल्में दिखाना बंद करने की माओवादियों की मांग के साथ एकजुटता प्रदर्शित किया है.


हालाँकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस कदम से करीब एक लाख लोगों का मनोरंजन प्रभावित हो रहा है और लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है.


राय ने कहा कि वे (माओवादी) हिन्दी सिनेमा के विरूद्ध नहीं हैं, लेकिन नेपाली सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए हमने 10 दिनों तक हिन्दी सिनेमा नहीं दिखाने का निर्णय लिया है. विदेशी फिल्मों से हमारे स्थानीय फिल्म उद्योग को बहुत क्षति पहुंच रही है.


ध्यातव्य है कि कट्टरपंथी नेता मोहन वैद्य के नेतृत्व वाले सीपीएन-माओवादी ने पिछले महीने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि हिन्दी सिनेमा नेपाल की भाषा-संस्कृति के प्रति अरूचि पैदा कर रहा है.

मेरे राज में बेरोज़गारी न्यूनतम स्तर पर है : ओबामा

वाशिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले ओबामा ने कहा कि देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है. राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि उनके कार्यभार संभालने के बाद से देश में बेरोजगारी दर अभी सबसे न्यूनतम स्तर पर है. यह अमेरिकी युवाओं के लिए बड़े संतोष की बात है.






 ओबामा की टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब नवीनतम आकड़ों के अनुसार सितंबर के दौरान अमेरिका में बेरोजगारी दर घटकर 7.8 फीसद रह गई है. यह 2009 के बाद सबसे कम है. चुनाव के सिलसिले में ओहियो में आयोजित एक बैठक में ओबामा ने कहा कि आज मेरा मानना है कि एक देश के तौर पर हम आगे बढ़ रहे हैं.



अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पहली बहस में बढ़ती बेरोजगारी दर को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए राष्ट्रपति बराक ओबामा को श्रम साख्यिकी ब्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट से काफी राहत मिली है. इस प्रकार से ओबामा अपने प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी से आगे जाने की कोशिश कर रहे हैं.

पाकिस्तान में ड्रोन हमले के खिलाफ इमरान खान का प्रदर्शन

इस्लामाबाद : क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान के सैकड़ों समर्थकों ने शनिवार को मोटरों के काफिले के साथ अमेरिकी ड्रोन हमलों के विरोध में आतंकवादी बहुल क्षेत्र दक्षिण वजीरिस्तान तक शांति यात्रा निकाली.






लगभग 130 वाहनों के काफिले वाली इस शांति यात्रा में खान समेत तहरीक-ए-इंसाफ दल के प्रमुख नेता, पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी शामिल थे. ये लोग सरकार की ओर से जारी आत्मघाती हमलों की चेतावनियों के बावजूद इस रैली में शामिल हुए.

संवाददाताओं से बात करते हुए इमरान खान ने दावा किया कि तालिबान की ओर से हमारी इस शान्ति यात्रा को कोई खतरा नहीं है, सिर्फ सरकार ही इसे रोकने की कोशिश कर रही है. खान ने कहा, वजीरिस्तान के कबीलाई लोगों को इस रैली के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. इस यात्रा का समापन दक्षिण वजीरिस्तान के कोटकाई गांव में रविवार को होने की संभावना है.

स्विस मसौदे पर कोर्ट ने फिर जताया सरकार से एतराज


इस्लामाबाद. पकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को खोलने के लिए स्विस सरकार को पत्र लिखने का मामला फिर उलझ गया है.
पत्र के मसौदे को लेकर सरकार और देश के सर्वोच्च न्यायालाय का मतभेद शुक्रवार को भी देखने को मिला. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने स्विस सरकार को भेजे जाने वाले पत्र के ताजा मसौदे पर भी एतराज जताया है.
 
 साथ ही इसे 10 अक्टूबर तक अंतिम रूप देने का निर्देश पाकिस्तान की सरकार को दिया है. शुक्रवार को कानून मंत्री फारूक नाईक ने न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के सामने पत्र का संशोधित मसौदा पेश किया.
न्यायाधीशों ने पत्र के कुछ अंशों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह 2009 के उस आदेश से मेल नहीं खाता है जिसमें जरदारी के खिलाफ मामलों की समीक्षा की अपील की गई थी.
 
अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश विचार-विमर्श करने के लिए दो बार अपने चेंबर में भी गए. सलाह-मशविरे के लिए नाईक और एक सरकारी वकील को भी चेंबर में बुलाया गया.
इसके बाद न्यायाधीश जब अदालत कक्ष में लौटे तो कानून मंत्री ने पत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने और प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श के लिए समय मांगा. देश की शीर्ष अदालत ने संक्षिप्त आदेश में पत्र के मसौदे में सुधार के लिए 10 अक्टूबर तक का वक्त देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि पत्र लिखने से इनकार करने के बाद अदालती अवमानना के आरोपी बनाए गए प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होकर कहा था कि उनकी सरकार स्विट्जरलैंड को पत्र भेजेगी.
ऐसा  लगता नहीं है कि पाकिस्तान सरकार की मंशा अपने भ्रष्ट राष्ट्रपति के विरुद्ध स्विस पत्र लिखने में कोई दिलचस्पी है. वह पूरी कोशिश कर रही है कि येन-केन प्रकारेण अपने भ्रष्टतम राष्ट्र-प्रमुख को बचा लिया जाय.

गांधी की नई जीवनी पर बैन नहीं लगेगा : केन्द्र


नागपुर. केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्‍पा मोइली ने कहा है कि महात्‍मा गांधी की नई जीवनी पर बैन लगाने का कोई कारण नहीं दिखाई देता. मोइली ने कहा कि 'ग्रेट सोल: महात्‍मा गांधी एंड हिज स्‍ट्रगल विद इंडिया' के लेखक का कहना है कि यह समीक्षक ने अपनी ओर से मतलब निकाल कर लिखा है न कि किताब में ऐसी बात लिखी गई है. इसलिए फिलहाल इस पर पाबंदी लगाने का सवाल ही नहीं उठता.






यह जीवनी पुलित्ज़र अवार्ड विजेता न्यूयॉर्क टाइम्स के पूर्व संपादक जोसफ लेलीवेल्ड ने लिखी है.




ब्रिटिश मीडिया में किताब की समीक्षा और इसके कुछ अंश छपे, जिसमें उन्‍होंने महात्मा गांधी के चरित्र पर उंगली उठाते हुए कहा गया कि वे समलैंगिक थे. लेखक ने सफाई दी है कि उन्‍होंने यह नहीं लिखा है कि महात्‍मा गांधी के पुरुष प्रेमी थे, बल्कि यह बताया है कि वह एक पुरुष के साथ रहते थे. उन्‍होंने यह भी दावा किया कि उन्‍होंने जो लिखा है, वह पुराने दस्‍तावेज के आधार पर लिखा है.




महाराष्ट्र सरकार और गुजरात सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्‍होंने केंद्र से भी ऐसा ही करने की मांग की है, लेकिन अब केंद्र के इनकार के बाद इस मामले के तूल पकड़ने के आसार हैं.

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